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उसका दोष क्या है भाग - 2 15 पार्ट सीरीज




उसका दोष क्या है (भाग - 2) 15 पार्ट सीरीज 
      
            कहानी अब तक
  
विद्या ने एक बच्चे को गोद लिया था। विद्या उस बच्चे पर अपनी ममता लुटाती रहती और बच्चा भी उससे काफी हिल-मिल गया था। वह तो उसे अपनी वास्तविक माँ ही समझता था। विद्या एक दो बार किन्ही विशेष अवसर पर  मेरे घर भी आई थी अपने बेटे और उसकी बड़ी बहन अर्थात अपने उन दोनों बच्चों को लेकर। उसने अपने उन दोनों बच्चों को मेरा परिचय मौसी कहकर ही करवाया था। दोनों बच्चे भी मुझे बहुत प्यार से मौसी कहते। विद्या के पति भी मुझसे और मेरे परिवार से काफी घुलमिल गए थे। उनका अपना निजी व्यवसाय था,जिससे वह अपने परिवार के लिए आवश्यकता पड़ने पर पूरा समय निकालते थे।

                          अब आगे

   विद्या के साथ मेरा संबंध भी प्रगाढ़ होता जा रहा था। साथ ही विद्या का गोद लिया बच्चा धीरे धीरे बड़ा हो रहा था। बेटी का नाम उसने स्कूल में लिखवा दिया था। वह पढ़ाई कर रही थी। अब बेटा भी बड़ा हो गया था,वह भी स्कूल जाने लगा था। वह बताती थी बेटी के स्कूल में ही बेटे का भी एडमिशन करवा दिया है,और बच्चे बहुत अच्छी तरह से पढ़ाई कर रहे हैं।


  इस बीच मेरा स्थानांतरण दूसरे क्षेत्र में हो गया, मेरा उनसे मिलना बंद हो गया। शिक्षकों का तबादला नहीं होता है जल्दी, इसलिए उनका तबादला नहीं हुआ था। मैं इधर-उधर घूमते हुए फिर उसी प्रखंड में आ गई जिसमें विद्या थीं। एक दिन उनसे भेंट हो गई तो मैंने पूछ लिया - 



   "आपके बेटे और बेटी का क्या हाल है, अब तो वह बड़ा हो गया होगा"।
    मेरा इतना पूछना था कि उनकी आंखें भर आई l मैं घबड़ा गई और पूछा -  
   "क्या हो गया विद्या जी आपकी आंखों में आंसू"?
  अपने आंसू पोंछते हुए बोली वह   -  
  "मेरा बाबू नहीं रहा"।



     मेरा भी दिल भर आया। मैंने उन्हें  पीठ सहलाते हुए सांत्वना देना चाहा तो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी आंखों पर रखी और कहने लगी -  


   "मुझे आपको बहुत कुछ बताना है आप मुझे एक दिन समय दीजिए। मैं आपसे बहुत कुछ कहना चाहती हूं जिससे मेरा दिल हल्का हो,मैं किसी से दिल की बात कह नहीं पा रही"।


  मैंने कहा चलिये आप मेरे ऑफिस या कहिये तो मैं आपके स्कूल चलूँ"।
  उन्होंने कहा  -  "किसी ऐसी जगह जहां कोई नहीं हो मैं नहीं चाहती यह बात कोई भी सुने या जाने"।


   मैंने कहा  -  "जब आप नहीं चाहतीं आपकी बात कोई सुनें, कोई जाने; तो  आप मुझे कैसे कहेंगी"।


    विद्या ने कहा  -  " इतने दिन मैं आपके साथ रही हूं, कुछ तो जान गई हूं आपको । मैं जानती हूं मैं जो कुछ भी कहूँगी वह आप तक ही सीमित रहेगा, इसलिए मैं आपको कहना चाहती हूं। मेरे दिल का बोझ हल्का हो जायेगा। और एक बात,आप आज मुझसे बात कर रही हैं। बस में मुझे भी बहुत से लोग जानते हैं और आपको भी। वे आप से मेरी शिकायत करेंगे,तो मैं चाहती हूं कोई दूसरा मेरे लिए कुछ आपसे बोले, उसके पहले मैं आपको सब कुछ बतला दूँ"। 



    मैंने कहा  -   "फिर ऐसा करते हैं किसी छुट्टी के दिन रांची में हम लोग मिलते हैं। वहीं साथ में बैठकर बात कर लेंगे"।


  उन्होंने कहा -  "ऐसा करते हैं 15 अगस्त आने वाला है, उस दिन झंडोत्तोलन के बाद प्रखंड में कार्यक्रम होगा बच्चों का। मैं वहां से निकल कर घर नहीं जा कर सीधा राँची चलूंगी"।


   मैंने भी मान लिया -   "ठीक है झण्डोत्तोलन के बाद हम लोग साथ ही निकलेंगे"।
हमारा प्रोग्राम तय हो गया।


   इस बीच उनकी अनुपस्थिति में मेरे कई शुभचिन्तक ने बिन माँगे मुझे विद्या से सम्पर्क नहीं रखने की सलाह दे डाली। मेरे खामोश रहने पर भी उसे चरित्रहीन बतलाते हुए बतलाया कि वह अपने पति को छोड़ कर किसी अन्य के साथ चली गई थी और उससे विवाह भी कर लिया था। और भी बहुत कुछ मुझे कई लोगों ने बतलाया,जिसे मैं बिना प्रतिक्रिया दिये सुन लेती। अब उनसे एकान्त में मिलने और उनके दिल की बात जानने को मैं भी उत्सुक हो गई थी।   

   15 अगस्त के दिन झंडोत्तोलन होने के बाद सारा प्रोग्राम समाप्त होते 11 बज गये उसके बाद हम लोग निकले। विद्या का भरसक प्रयास था बस में अपने को मुझसे दूर रखने का। रांची आने के बाद  हम लोगों ने तय किया मछली घर जाने का। हम दोनों वहां जाकर टिकट लेकर मछली घर के अंदर जाकर बैठ गईं और वहाँ के कैन्टीन में मैंने डोसा के साथ कॉफी का ऑर्डर किया,भूख भी लग आई थी। अभी थोड़ी देर पहले बारिश होना प्रारम्भ हो गया था। नाश्ता करने तक हम इधर उधर की बातें करते रहे। कॉफी का मग लेकर मैंने उन्हें कोने वाली मेज की ओर चलने का इशारा किया जो अभी-अभी खाली हुआ था। वहां उन्होंने मुझे अपनी बात बतानी शुरू कर दी। उनकी बातें मैं सुनती जा रही थी और गुम होती जा रही थी,उनके साथ उनके अतीत में। इस बीच हमने एक बार और कॉफी मँगवायी और बारिश रुकने के बाद एक अपेक्षाकृत एकान्त स्थान में जाकर एक बेंच पर बैठ कर  फिर से विद्या की बातें सुनने लगी।


    विद्या की कहानी पढ़िए अगले भाग में।   
   कहानी जारी है।
                                         क्रमशः
   निर्मला कर्ण

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3 Comments

Achha likha hai aapne

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Mahendra Bhatt

29-Jun-2023 09:05 PM

👌

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Interesting

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